एशिया महाद्वीप इन दिनों लगातार आ रहे भूकंप के झटकों से जूझ रहा है। जापान से लेकर दक्षिण एशिया के देशों तक, धरती की यह बेचैनी लोगों को डरे सहमे हालात में छोड़ रही है। हाल ही में जापान के आओमोरी प्रान्त में सोमवार देर रात 7.5 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया, जिसने एक बार फिर इस क्षेत्र के अदृश्य भूगर्भीय तनाव को उजागर कर दिया है।
सुनामी की चेतावनी, कई क्षतिग्रस्त घर, जगह-जगह धंसी सड़कें और घायल लोग—ये सब मिलकर एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं: एशिया में ऐसा क्या हो रहा है कि धरती बार-बार हिल उठती है? इसका सीधा जवाब टेक्टॉनिक प्लेटों की हलचल और 'रिंग ऑफ फायर' की स्थिति में छिपा है।
🇯🇵 जापान: 'रिंग ऑफ फायर' पर बैठा देश
जापान भौगोलिक रूप से दुनिया के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है। यह देश चार प्रमुख टेक्टॉनिक प्लेटों के संगम पर स्थित है और प्रशांत महासागर के कुख्यात 'रिंग ऑफ फायर' का हिस्सा है। रिंग ऑफ फायर वह इलाका है जहां धरती के नीचे की प्लेटें लगभग लगातार आपस में जोड़तोड़ करती रहती हैं। इसी भूगर्भीय गतिविधि के कारण जापान में हर साल औसतन 1500 भूकंप दर्ज किए जाते हैं।
आओमोरी में आया हालिया जोरदार झटका इस बात का प्रमाण है कि भूगर्भीय तनाव लगातार जमा होता रहता है और जब यह तनाव टूटता है, तो ऐसे बड़े और विनाशकारी भूकंप सामने आते हैं। इस झटके के बाद सुनामी की चेतावनी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया था, हालांकि बाद में चेतावनी वापस ले ली गई।
बावजूद इसके, नुकसान इतना था कि लोगों को 2011 की भयावह सुनामी याद आ गई, जिसमें 18 हजार से ज्यादा जानें गई थीं। वर्ष 2024 की शुरुआत में ही नोटो द्वीप पर आए भूकंप में भी लगभग 600 लोगों की मौत हुई थी। जापान सरकार खुद मानती है कि अगले 30 वर्षों में यहां 75% से 82% संभावना है कि बेहद तीव्र भूकंप आ सकता है।
🇧🇩 दक्षिण एशिया: क्या बड़े खतरे की ओर?
जापान के अलावा, हाल के हफ्तों में दक्षिण एशिया में भी भूगर्भीय हरकतें काफी बढ़ गई हैं। हाल ही में बांग्लादेश की राजधानी ढाका और आसपास के क्षेत्रों में सुबह-सुबह 4.1 तीव्रता के झटकों ने लोगों को घरों से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया। यह झटका पिछले दिनों आए कई भूकंपों की कड़ी का हिस्सा है।
बांग्लादेश में पिछले दो हफ्तों में लगातार भूकंप आ रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों में हर छोटे कंपन को लेकर गहरी चिंता है। 21 नवंबर को आया 5.7 तीव्रता का भूकंप तो पूरे देश में महसूस हुआ था, जिसने 10 लोगों की जान ले ली थी। एक के बाद एक झटके इस आशंका को बल दे रहे हैं कि कहीं यह किसी बड़े और विनाशकारी भूकंप का अग्रदूत तो नहीं।
अफगानिस्तान से नेपाल तक बढ़ती हलचल
सिर्फ जापान और बांग्लादेश ही नहीं, पूरा दक्षिण एशिया पिछले कुछ महीनों से असामान्य भूकंपीय गतिविधियों का गवाह बन रहा है। अफगानिस्तान में लगातार आए तेज झटकों ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। वहीं, नेपाल और भारत के उत्तरी हिस्सों में भी धरती बार-बार हिल रही है।
यह कोई संयोग नहीं है। यह पूरा क्षेत्र उन विशाल टेक्टॉनिक प्लेटों का संगम है जिनकी आपस में टकराने की गति दुनिया में सबसे तेज मानी जाती है। इंडियन प्लेट हर साल लगभग 5 सेंटीमीटर की रफ्तार से उत्तर की ओर बढ़ रही है और यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। यह निरंतर टक्कर ही हिमालय को ऊंचा करती है, और यही भूगर्भीय तनाव इस पूरे क्षेत्र में बार-बार आने वाले भूकंपों का मुख्य कारण है।